पैंडेमिक और एंडेमिक: दुनिया भर में कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। अब तक कोरोना एक महामारी (pandemic) के रूप में दुनिया भर में फैल गया है जो अनेक देशों को अभी भी तबाह कर रही है। लेकिन अब बहुत सारे लोगों का यह सवाल है कि क्या एक दिन कोरोना वायरस स्थाई (endemic) बन जाएगा और लोगों को इससे रोज़ाना जूझना पड़ेगा।

कोरोना के अब तक के मामलों से पता चलता है कि इस वायरस की दर कम होने की संभावना है और इसे अंततः स्थाई बनने की संभावना है। यदि ऐसा होता है तो लोगों को इससे निपटना सीखना आवश्यक होगा और इसे अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का हिस्सा मानना होगा। वैज्ञानिक इस बात पर काम कर रहे हैं कि किस प्रकार कोरोना स्थाई होने से रोका जा सकता है और इसका इलाज किस प्रकार किया जाए।
अब जब वैक्सीनेशन अभी तक सभी देशों में समान रूप से उपलब्ध नहीं है और इससे संबंधित चुनौतियां भी हैं, इससे वायरस की संभावित वापसी की संभावना बढ़ जाती है। एंडेमिक दौर में संक्रमण स्तर कम नहीं होगा, लेकिन इसका उपचार उपलब्ध होगा और इससे नए संबंधित आविष्कार और नए उपचार तकनीक आ सकती हैं।
इससे हमें यह समझना चाहिए कि पहले देश अपने रोगों का उपचार खुद तैयार करते थे। अब एंडेमिक दौर में भी हमें अपनी तकनीकों को बढ़ावा देना चाहिए और संबंधित रोगों के लिए उपचार तकनीक को बेहतर बनाने की जरूरत है। इससे हमें स्वास्थ्य सेवाओं के उत्पादन और दूरस्थ संगठनों से निवेश करने की जरूरत होगी। अब हमें एंडेमिक दौर में आगे बढ़ने के लिए तैयार होने की जरूरत है।
जब एक महामारी जैसे कोविड-19 (पैंडेमिक और एंडेमिक) अंततः स्थायी बीमारी (Endemic) बन जाती है, तो इसका मतलब है कि यह बीमारी सालों तक लोगों में प्रचलित रहेगी और इसके साथ हमें अपने जीवन का सामना करना होगा। कोविड-19 जैसी संक्रमण से बचाव व नियंत्रण के लिए वैक्सीन विकसित हो चुकी है लेकिन अब इससे जुड़े चुनौतियों से निपटना होगा। अंततः यह महामारी एक सामान्य बीमारी (Common disease) की तरह हमें सामना करने के लिए आगे बढ़ना होगा।
इस महामारी के सामने आम लोगों के साथ-साथ सरकारों को भी बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सरकारों को अपनी स्वास्थ्य सेवाओं, तंत्रों व तकनीकों को जारी रखने और लोगों को संबंधित निर्देशों को फॉलो करने के लिए जागरूक करना आवश्यक होगा। इससे पहले लगभग सभी देशों ने अपने आसपास के देशों से विस्तारित सुविधाओं को समाप्त कर दिया है।
इससे संबंधित दूसरे देशों में भी समान परिस्थितियां हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिका में भी डेल्टा वेरिएंट के बढ़ते मामलों के कारण अब स्थानीय नेताओं ने सीधे निर्देश जारी किए हैं कि सभी अमेरिकी लोगों को वैक्सीन लगवाना आवश्यक होगा। उन्होंने भी यह बताया कि अगले कुछ हफ्तों में भारत से ज्यादातर कोविड मामले अमेरिका में हो सकते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वायरस के विशेषताओं और फैलाव के आधार पर, संक्रमण को ‘पांडेमिक’ के रूप में घोषित किया जाता है जब एक नए वायरस संसार के विभिन्न हिस्सों में फैलने लगता है और बहुत से लोग उससे संक्रमित हो जाते हैं। जब इसके बाद संक्रमण नियंत्रित होने लगते हैं और उसे कम किया जाता है, तो यह अब ‘एंडेमिक’ कहलाता है। एंडेमिक वह विस्थापन होता है जो किसी निश्चित क्षेत्र में स्थायी रूप से मौजूद होता है।
वहीं, अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पिछले सप्ताह दुनिया भर में 1 करोड़ 20 लाख से अधिक केस के साथ लगभग 2 लाख मौतों की सूची जारी की है। इससे साफ है कि अभी भी यह वायरस बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है और दुनिया भर में उसका पर्याप्त समाधान नहीं मिला है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, ऐसे समय में बचाव अधिक महत्वपूर्ण होता है। अभी तक कोविड-19 (पैंडेमिक और एंडेमिक) के खिलाफ वैक्सीन भी उपलब्ध हो रही हैं और लोगों को लगभग 80% से अधिक टीकाकरण कराने की जरूरत है। वैक्सीन के अलावा सामाजिक दूरी, मास्क पहनना और स्वच्छता जैसी नियमों को अपनाना भी जरूरी है।
यह सत्य है कि इस समय महामारी आम बीमारी की तरह नजर आ रही है। लेकिन हम सभी इससे निपटने के लिए तैयार हैं। अगर हम इसका सामना संज्ञाना और नियंत्रण करने के लिए संयुक्त प्रयास करें तो हम इस महामारी से निपट सकते हैं।
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