कर्म के 12 नियम क्या है ? कर्म की वायाख्या करने मे आपका जीवन निकल जाता है। कर्म क्या है? कर्म एक प्रगतिशील मनुष्य है जो अपने कर्मों से अपने जीवन मे होने वाली हर एक चीज को नियंत्रित करता है। गीता 3.२७ के अनुसार “जब मनुष्य मैं करता हूँ।” ऐसा मानता है तो उसके किये गए क्रिया को कर्म कहेंगे। अतएव जब मनुष्य स्वयं कर्ता बनकर अपने मन ,बुद्धि और इन्द्रियों द्वारा क्रिया कर के किसी कर्म को करता है, तभी कर्म बनता है और फिर इसी कर्म का संग्रह होता है जिसे कर्म-संग्रह कहते हैं.
कोई भी मनुष्य, किसी भी अवस्था में, कर्म किये बिना नहीं रह सकता यानी हर पल मनुष्य कर्म कर रहा है. क्योंकि हम चार तरीके से कर्म करते हैं. इसके अलावा कर्म के 12 नियम बताए गए है जिन्हे फॉलो करके आप अपनी लाइफ को हमेशा के लिए बदल सकते है। कर्म क्या है इसका वर्णन यहाँ दिया गए आर्टिकल से पढे.
- विचारो के माध्यम से
2. शब्दों के माध्यम से
3. क्रियाओं के माध्यम से जो हम स्वयं करते हैं
4. क्रियाओं के माध्यम से जो हमारे निर्देश पर दूसरे करते हैं
इसका मतलब यह है कि वह सब कुछ जो हमने सोचा, कहा ,किया या काऱण बने – यह कर्म है यानी हमारा सोना, उठना, चलना, बोलना, खाना, कुछ करना सभी कर्म के अंतर्गत आते हैं।

कर्म क्या है और कर्म की परिभाषा क्या है ?
कर्म क्या है ? कर्म की परिभाषा करना कठिन है तो जो कुछ भी मनुष्य अपने जीवन में करता है वो सब कर्म है। अतएव आप ऐसा भी कह सकते हैं कि क्रिया को कर्म कहते हैं।
अथवा कर्म से आशय पिछले व्यवहारगत अभ्यासों आधारित हमारे उन मानसिक आवेगों से होता है जो हमे उस तरह से आचरण करने, वचन कहने और विचार करने के लिए प्रेरित करते हैं जिसके हम अभ्यस्त हो जाते हैं. सरल शब्दों में कहा जाए तो हमारे भीतर किसी कार्य को करने की इच्छा जाग्रत होती है,और फिर हम बाध्य होकर उसी कार्य को करने लगते हैं।
सुने कर्म का फल कैसे मिलता है ?

Law of Cause and Effects in Hindi – Mantras of Success
12 Laws of Karma in Hindi- Video
कर्म के 12 नियम (12 Laws of Karma in Hindi)
जैसा बोओगे वैसा काटोगे
ये कर्म के 12 नियमो मे से पहला नियम है, यह कर्म का सबसे महत्वपूर्ण नियम है. आप अगर कुछ भी अच्छा या बुरा करते है तो वह आपके पास लौटकर वापिस ज़रूर आता है।
उदाहरण के तौर पर -अगर आप अपने पेरेंट्स की रेस्पेक्ट नहीं करते तो यह आपके पास लौटकर आएगा जब तुम्हारे बच्चे तुम्हारी रेस्पेक्ट नहीं करेंगे यही कर्मा है। प्रत्यावर्ती बाण की तरह कार्य करता है। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आप खुश रहे और अच्छी ज़िन्दगी जिए तो दूसरों की इज़्ज़त कीजिये ,सबको प्यार करिये, खुशियां बांटिए।

सृजन का नियम
जीवन खुद नहीं चलता रहता इसे हमारी भागीदारी की ज़रुरत होती है। आप अपने जीवन से जो भी चाहते हैं चाहे वह प्रसिद्धि हो या ढेर सारा धन उसके लिए आपको सृजन करना होगा मेहनत करते रहना होगा।
अगर आप किसी सफल बिजनेसमैन के जैसे बनना चाहते हैं आप उसे फॉलो भी करते हैं और उसकी सारे पोस्ट्स लाइक करते है पर बस इतना ही क्या सिर्फ इतना करने से आप अपना कोई बिज़नेस अंपायर खड़ा कर सकते हैं? नहीं। आपको ऐसे ही प्रसिद्धि या पैसा नहीं मिलने वाला। उसके लिए आपको पसीना बहाना होगा। आपको भागीदार बनने की ज़रुरत है। चमत्कार भी खाली बैठे नहीं होते।
विनम्रता का नियम
यह तीसरा कर्म का नियम मानसिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। हम सब कभी कभी जीवन में कुछ सच्चाइयों को मानने से इंकार करते हैं लेकिन वो हमारा पीछा करती है। उदाहरण के लिए-अगर आप किसी व्यक्ति को पसंद करते हैं
और यहाँ तक कि अपनी पूरी ज़िन्दगी भी उसके साथ ही गुज़ारना चाहते हैं आपका प्रेम बिल्कुल निस्वार्थ है लेकिन वह व्यक्ति आपके बारे में ऐसे भावना नहीं रखता और आपको उस दृष्टि से नहीं देखता है। आप उसको अपनी भावनाओ के बारे में बताते हैं लेकिन वो कहता है की वह आपके लिए ऐसा महसूस नहीं करता।
इतना सुनने के बाद भी आप उसे मनाने की कोशिश कर रहे हैं और उसे बताते हैं कि आप उसे सच्चा प्यार करते हैं और उसे बहुत सम्मान देंगे।
लेकिन इस पर भी वो आपको सकारात्मक जवाब नहीं देता। इस पर आप क्या करेंगे ?क्या आप खुद को मार डालेंगे या अपने आप को नुकसान पहुचायेंगे ! अगर आप ऐसा कर भी लेते हैं तो भी सच्चाई नहीं बदलेगी। आपको ये समझना होगा की सब कुछ आपके मनमुताबिक हो ये ज़रूरी नहीं है।
कुछ भी हासिल करने के लिए आप कोशिश करना ज़ारी रख सकते हैं , उसमे अपनी पूरी शक्ति लगा सकते हैं। यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है की आप कब तक कोशिश करना चाहते है। आपको यह याद रखना होगा की आप सब कुछ काबू नहीं कर सकते , सच को स्वीकार कर आगे बढ़ जाना ही आपका सच्चा कर्म है। उस वक़्त के लिए इसे बेहतर कोई और उपाय नहीं है। और कर्मा का यह नियम हमारे दैनिक जीवन की अधिकाँश परिस्थितियों पर लागू होता है।
विकास का नियम
निरंतर विकास की ओर अग्रसर रहना , उन्नति करते रहना तभी संभव है जब हम अपने आप में परिवर्तन करने के लिए तैयार हो। आत्मीय विकास के लिए खुद में बदलाव की ज़रुरत होती है न की दूसरे लोगों ,वस्तुओं या दुनिया को बदला जाए। आत्मीय विकास ऐसी उन्नति है जो हम अपनी आत्मा से करते हैं।
हमारे सद्गुण,आचार-विचार ,हमारा व्यक्तित्व ही हमारी पहचान होती है। लोग इन्ही गुणों से आकर्षित और प्रभावित होते हैं। जीवन में निरंतर विकास तभी संभव है जब हम समय -समय पर खुद में आवश्यक बदलाव कर सकें। केवल अपने आप को बेहतर और बेहतर बनाना ही हमारे हाथ में है न कि अपने परिवेश में बदलाव करना। यही जीवन का विकास से जुड़ा सत्य नियम है।
ज़िम्मेदारी का नियम
उम्र के हर एक पड़ाव में इंसान की कुछ ज़िम्मेदारियाँ होती हैं। कभी छोटी कभी बड़ी , कभी अपने प्रति और कभी दूसरो के लिए। जो भी हमारे आस -पास है और हमारे जीवन में है उसकी ज़िम्मेदारी हमे लेनी चाहिए। हम अपनी ज़िम्मेदारियों से मुँह नहीं मोड़ सकते और अगर हम ऐसा करते हैं तो हमारा जीवन एक कायर के जीवन की भांति होगा जो न ही समाज, परिवार और न अपने लिए कुछ करता है।
जिस समय के लिए जो कार्य उपयुक्त है वो हम पूरी ईमानदारी ,कर्तव्यनिष्ठा और लगन से अगर करते हैं और उसमे त्रुटि होने पर उसको सही करने का ज़िम्मा लेते है वही ज़िम्मेदारी का निर्वहन करना है। बिना ज़िम्मेदारी का व्यक्ति केवल हाड-मांस का पुतला होता है। इसलिए ज़िम्मेदारी निभाना कर्म करने का नियम है।
सम्बन्ध का नियम
पूरे ब्रह्माण्ड में सब कुछ आपस में जुड़ा हुआ है। हर वस्तु का किसी न किसी दूसरी चीज़ से सम्बन्ध है। अगर आज हमे कुछ महत्वहीन लग रहा है तो भी उसे करना चाहिए क्यूंकि वह आज नहीं तो कल किसी न किसी रूप में काम आएगा। जैसे स्टीव जॉब्स को कैलीग्राफी की कक्षाएं महत्वहीन लगी थी वो इसे कोई भी जुड़ाव महसूस नहीं करते थे लेकिन इन्ही कक्षाओं से सीखे हुए ज्ञान से उन्होंने १० साल बाद फॉण्ट डिज़ाइन (मैक कप्यूटर) के बारे में काफी मदद मिली।
इसीलिए इंसान को जब भी मौका मिले कोई भी काम करने का या सीखने का तो बेझिजक उसे करना चाहिए क्योंकि कब का कुछ सीखा हुआ या अनुभव किया हुआ कब काम आ जाये ये कोई नहीं बता सकता।
इस तरह से हम एक बेहतर इंसान भी बनते है क्योंकि हम नई नई चीज़े भी सीखते हैं और काम की हैसियत को लेकर हमारा दृष्टिकोण भी बदलता है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। और ऐसे कई उदाहरण है -धीरू भाई अम्बानी पेट्रोल पंप के एक वर्कर थे।
एक साधारण से वर्कर से लेकर उन्होंने एक सफल बिज़नेसमेन बनने का सफर इतनी आसानी से तय नहीं किया उन्होंने कई छोटे छोटे काम किये और किसी काम को छोटा नहीं समझा। क्यूंकि उससे इंसान के पास अनुभव, सहनशीलता और मेहनत करने की शक्ति आती है। इसलिए कोई भी काम छोटा बड़ा न समझते हुए उसे सीखने क लिए बस कर लेना चाहिए यही सम्बन्ध का नियम है।
फोकस का नियम
मल्टीटास्कर होना बहुत अच्छी बात है। यह निश्चित रूप से एक कौशल है लेकिन जब आप एक ही समय पर एक से ज़्यादा चीज़ो को करते है या उनके बारे में सोचते हैं तो आपका फोकस बंट जाता है और उसमे गलतियों की संभावना भी बढ़ जाती है।
अगर आप किसी काम को असाधारण तरीके से करने में सक्षम थे तो केवल अब आप उसे पूरा ही कर पाए हैं। इसलिए बहुत सारे काम एक ही समय पर करने से बेहतर है एक एक कर के काम किये जाए और परफेक्शन से किये जाए ताकि उससे संतुष्टि भी मिले और हम अपना बेस्ट भी दे पाएं।
परिवर्तन का नियम
परिवर्तन जीवन का एक अहम् नियम है। कुछ परिवर्तन इंसान को समय के साथ करने पड़ते हैं और कुछ परिवर्तन गलत को सही करने के लिए करने होते। दोनों ही परिस्थितियों में उसे खुद को बदलना होता है। इंसान गलतियों का पुतला है और अक्सर उससे गलतियां हो जाती है। जो व्यक्ति अपनी गलतियां स्वीकार कर के उनसे सीखता है वह पूरी तरह से इस परिवर्तन के नियम का पालन करता है। वही गलतियां हम बार बार करते रहते है जब तक कि हम ये न समझ जाए की अब हमे अपना रास्ता बदलना है।
गलतियों से सीखना महत्त्वपूर्ण कला है और सीख कर उसमे परिवर्तन कर लेना और भी ज़्यादा प्रभावी है। हमे बस समय समय पर खुद का निरीक्षण करना होता है और आवश्यक बदलाव लाने होते है। हम दूसरों की गलतियों से भी सीख सकते हैं। हमे वो गलतियां करने से बचने की ज़रुरत है जो बाकी लोगों ने की होती हैं। यही परिवर्तन का नियम है। (Read law of attraction in Hindi).

धैर्य रखने और उसके फल का नियम
ऐसा कहते हैं की धैर्यवान व्यक्ति को धैर्य रखने का फल ज़रूर मिलता है क्यूंकि अच्छे परिणामों के लिए कड़ी मेहनत के साथ साथ धैर्य और स्थयित्व की भी ज़रुरत होती है। आज की दुनिया में तुरंत फल मिलने की उम्मीद की जाती है लेकिन सच यही है अगर आप बेहतर और लम्बे समय तक लाभान्वित करने वाले परिणाम चाहते है
तो आपको धैर्यवान बनना होगा जल्दबाज़ी आपको दूरगामी परिणाम नहीं दे सकती। अपने प्रोफेशनल जीवन को सफल बनाने के साथ साथ आपको अपनी निज़ी ज़िन्दगी को सफल बनाने के लिए भी धैर्यवान होने कि ज़रुरत है। हर एक व्यक्ति के जीवन में ऐसा समय आता है, जब उसे कई पड़ावों पर धैर्य रखने की ज़रुरत होती है। धैर्यवान व्यक्ति आयी हुई मुसीबतों का सामना करने में ज़्यादा सक्षम होते है। धैर्य रखकर जीवन में आगे बढ़ते रहना यही धैर्य का नियम है।
देने और आतिथ्य का नियम
आप जिन चीज़ो में विश्वास करते है आपको वो सामने लानी चाहिए और औरो को उनसे अवगत कराना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो आप अपने एक्शन्स की इम्पोर्टेंस समझते हैं और यह आपके गहरे विश्वास को दर्शाता है।
अगर आप सम्मान पाना चाहते हैं तो आपको दूसरों की भी इज़्ज़त करनी होगी।अगर आप अपने लिए एक शांतिपूर्ण माहौल चाहते हैं तो आपको उसे बनाने में खुद भी योगदान देना होगा। आप जैसा दोगे वैसा ही आपको भी वापस मिलेगा। आप जिन चीज़ो पर विश्वास करते हैं वही आपके साथ होती हैं आप जैसा जिसके साथ करते हो वैसा आपको मिलता है और यही देने और आतिथ्य का नियम है।
वर्तमान में जीने का नियम
अक्सर लोग पहले हुई घटनाओ को याद कर के दुखी होते हैं और कई तो पास्ट से कभी निकल ही नहीं पाते। अगर आप अपनी लाइफ को भरपूर जीना चाहते हैं तो वर्तमान में रहने की कोशिश करिये।आप खुश तभी रह सकते हैं जब आप पास्ट के नेगेटिव थॉट्स को लेट गो कर दे। अगर आप केवल अपने पास्ट में रहेंगे तो उसकी कोई न कोई कड़ी सामने आती ही रहेगी और आप उससे जुड़ते जायेंगे। इसलिए अपने आस पास की चीज़ो को देखिये उनका आनंद लीजिये।
महत्व और प्रेरणा का नियम
हम सब इस संसार में अपने अपने लेवल पर अपना योगदान देते हैं। कोई भी काम जो हम करते हैं वह चाहे किसी को महत्व हीन लगे पर उसका संसार में किसी न किसी व्यक्ति के लिए महत्व ज़रूर होगा, वो कोई ऐसी चीज़ भी हो सकती है जिससे किसी की लाइफ भी बदल सकती है।
हर एक व्यक्ति के पास कुछ उपहार, कोई टैलेंट होता है जिसे वो दुनिया में आके सबके साथ साझा करता है। ऐसा भी हो सकता है कि एक स्पेसिफिक कार्य के लिए आपको दुनिया में लाया गया हो। अपना हर संभव योगदान देना और उसके महत्व को समझना यही महत्व और प्रेरणा का नियम है।
टैग्स: कर्म क्या है?, कर्म के 12 नियम, कर्म, कर्म के 12 नियम हिन्दी मे, कर्म के 12 नियम हिन्दी मे जानिए,
Read More:
5 Life Success Tips in Hindi- 5 सक्सेस टिप्स इन हिन्दी
Self-Motivation Tips in Hindi- How to Develop Self-Motivation in Hindi
Affirmation in Hindi- How to Utilize Positive Affirmation?
The Law of vibration in Hindi- How does it work in Real Life?
5 thoughts on “कर्म के 12 नियम हिन्दी मे जानिए ! कर्म क्या है और कर्म कैसे करे?”